महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग (राजसमंद) में महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर में हुआ था। 
महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। 
इनके कुल देवता एकलिंग महादेव हैं।
इन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। यह नाम इन्हें भीलों से मिला था ।
भीलों की बोली में कीका का अर्थ 'बेटा' होता है ।

महाराणा प्रताप के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम 'चेतक' था। 

महाराणा प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का एक विशेष स्थान है। 

 चेतक की फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयाँ जीतने में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

 एक पहाड़ी पर महाराणा प्रताप का दर्शनीय स्मारक स्थित है। 

यहाँ मुख्य रूप से रक्त तलाई, शाहीबाग, प्रताप गुफा, घोड़े चेतक की समाधि एवं ऊंची पहाड़ी पर महाराणा प्रताप के दर्शनीय स्थल हैं।

 मेवाड़ की शौर्य-भूमि धन्य है जहां वीरता और दृढ़ प्रण वाले प्रताप का जन्म हुआ। जिन्होंने इतिहास में अपना नाम अजर-अमर कर दिया। उन्होंने धर्म एवं स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान दिया इनकी वीरता की कथा से भारत की भूमि गौरवान्वित है। 

 महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच 18 जून,1576 में लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध काफी चर्चित है, क्योंकि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था।

 इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंदा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया।

 1597 ई. को महाराणा प्रताप का देहांत हो गया।

 30 वर्षों के संघर्ष और युद्ध के बाद भी अकबर, महाराणा प्रताप को न तो बंदी बना सका और न ही अपने अधीन कर सका। 

 महान वो होता है जो अपने देश, जाति, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का समझौता न करे और लगातार संघर्ष करता रहे।